जैन धर्म से सम्बंधित बहुवैकल्पिक प्रश्न उत्तर – Jain Dharm MCQ in Hindi के Mock Test में सभी Question Answer का विस्तार में वर्णन किया गया हैं।
Important Jain Dharm MCQ in Hindi –
Results
#1. त्रिरत्न सिद्धांत सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् आचरण इनमें से किस धर्म से संबंधित है ? [RRB Allahabad 2002]
- त्रिरत्न का सिद्धांत बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म दोनों में दिया गया है।
- बौद्ध धर्म में त्रिरत्न – बुद्ध, धर्म तथा संघ
- जैन धर्म में त्रिरत्न – सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् आचरण
#2. इनमें से कौन श्वेतांबर संप्रदाय के संस्थापक थे ? [RAS/RTS Pre.1999]
जैन धर्म मौर्य काल में दो मतों में विभाजित हो गया – श्वेतांबर तथा दिगंबर।
श्वेतांबर के संस्थापक थे स्थूलभद्र तथा दिगंबर के संस्थापक थे भद्रबाहु।
श्वेतांबर संप्रदाय के अनुयायी श्वेत वस्त्र पहनते हैं तथा दिगंबर सम्प्रदाय के अनुयायी निर्वस्त्र रहते हैं।
श्वेताम्बर एवं दिगंबर में अंतर –
श्वेताम्बर –
- श्वेताम्बर के संस्थापक स्थूलभद्र थे।
- ये सफेद वस्त्र पहनते थे।
- महिलाओं को मोक्ष मिल सकता है।
- 19वें तिर्थकर मल्लीनाथ महिला थी।
- इनके अनुसार महावीर स्वामी विवाहित थे।
दिगम्बर –
- दिगम्बर के संस्थापक भद्रबाहु थे।
- ये निर्वस्त्र रहते थे।
- महिलाओं को मोक्ष नहीं मिल सकता।
- 19वें तिर्थकर मल्लिनाथ पुरूष थे |
- इनके अनुसार महावीर स्वामी विवाहित नहीं थे।
#3. इनमें से कौन सा कथन गलत है ?
वर्द्धमान महावीर की माता त्रिशला, लिच्छवी के शासक चेटक की बहन थी।
महावीर स्वामी का जीवन परिचय –
- जन्म – 540 ई.पू.
- जन्मस्थल – कुंडग्राम (वैशाली), बिहार
- बचपन का नाम – वर्धमान
- पिता – सिद्धार्थ (ज्ञातृक कुल के प्रधान)
- माता – त्रिशला ( लिच्छवी के शासक चेटक की बहन )
- पत्नी – यशोदा (कुंडीय गोत्र की कन्या)
- भाई – नंदिवर्धन
- पुत्री – प्रियदर्शना (अणोज्जा)
- दामाद – जामालि
- गृहत्याग – 30 वर्ष की उम्र में अपने बड़े भाई नंदिवर्धन की अनुमति लेकर।
- शिष्य – मक्खलिपुत्रगोशाल (आजीवक संप्रदाय के संस्थापक)
- ज्ञान प्राप्ति (कैवल्य ) – 12 वर्ष की तपस्या के बाद ऋजुपालिका नदी के तट पर साल वृक्ष के नीचे।
- प्रमुख उपाधि – केवलिन (कैवल्य-सर्वोच्च ज्ञान प्राप्त व्यक्ति), जिन (विजेता), निर्ग्रन्थ (बंधनरहित), अर्हत (पूज्य)
- निर्वाण मृत्यु – 468 ई.पू. पावापुरी (वर्तमान राजगीर के समीप) में मल्ल राजा सुस्तपाल के यहाँ ।
- पार्श्वनाथ जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर थे तथा उनके पिता अश्वसेन काशी के (बनारस) नरेश थे इसलिए इनका सम्बन्ध बनारस से था।
#4. महावीर स्वामी के प्रथम शिष्य इनमें से कौन था ? [RRB ASM/GG 2004]
जमालि, महावीर स्वामी के प्रथम शिष्य थे। जमालि, महावीर स्वामी के दामाद थे।
इनके अन्य ग्यारह शिष्य – मंडित, मोरिमपुत्र, अंकपित, इन्द्रभूति, अग्रिदेव, अचलभ्रता, मेतार्थ, वायुभूति व्यक्त, प्रभास तथा सुधर्मन।
#5. इनमें से किसने अणुव्रत सिद्धान्त का प्रतिपादन किया था ?
महावीर स्वामी ने ज्ञान प्राप्ति के बाद 5 नियम बताएं जिसे पंचायन धर्म कहा गया।
- 1) अहिंसा – हिंसा ना करना
- 2) सत्य – सदा सत्य बोलना
- 3) अस्तेय – चोरी ना करना
- 4) अपरिग्रह – संपत्ति ना रखना
- 5) ब्रम्हचर्य – इन्द्रियों को वश में करना
सभी भिक्षुओं को इन पांच नियमों का पालन करना अनिवार्य है मगर गृहस्थ जीवन जीने वालों के लिए कठोरता में कमी कर दी गई है इसे ही अणुव्रत कहा जाता है।
#6. इनमें से जैन धर्म के संस्थापक कौन थे ?
- जैन धर्म में कुल 24 तीर्थकर हुए।
- ऋषभ देव जैन धर्म के संस्थापक तथा प्रथम तीर्थकर थे।
- जैन धर्म के अंतिम या 24वें तीर्थकर महावीर स्वामी थे।
- 540 ईसा पूर्व महावीर स्वामी का जन्म कुंडग्राम (वैशाली) में हुआ था।
#7. महावीर स्वामी का जन्म इनमें से किस स्थान पर हुआ था?
#8. "समाधि मरण" इनमें से किस दर्शन से संबंधित है? [Chhattisgarh PCS Pre. 2015]
- जैन धर्म में स्वेच्छा से मृत्यु को धारण करना “समाधि मरण” कहलाता है।
- इसमें व्यक्ति मृत्यु को नजदीक जानकर भोजन का परित्याग कर देता है इस प्रकार मृत्यु उसे प्राप्त हो जाती है।
- श्वेतांबर संप्रदाय में इसे संथारा तथा दिगंबर संप्रदाय में सल्लेखना कहा जाता है।
#9. इनमें से कौन सा कथन सही है ? [RRB Gorakhpur ASM/GG 2005]
- भद्रबाहु के द्वारा दक्षिण भारत में जैन धर्म का प्रचार हुआ।
- प्रथम बौद्ध संगीति जिसका आयोजन पाटलिपुत्र में हुआ था जिसके बाद जो लोग भद्रबाहु के नेतृत्व में थे, वे दिगम्बर कहलाये तथा जो लोग स्थलबाहु के नेतृत्व में थे वे श्वेताम्बर कहलाये।
- शुरू में जैन धर्म में मूर्तिपूजा का प्रचलन नहीं था।
- विभाजन के बाद श्वेताम्बरों ने महावीर तथा अन्य तीर्थंकरों के मूर्तियों की पूजा शुरू की।
- कलिंग के राजा खारवेल ने जैन धर्म को समर्थन दिया था।
#10. बौद्ध तथा जैनियों दोनों का तीर्थस्थल इनमें से कहाँ स्थित है ?
- बौद्ध तथा जैनियों दोनों का तीर्थस्थल कौशाम्बी (उत्तर प्रदेश) में स्थित है।
#11. इनमें से कौन "नियति की अटलता" में विश्वास रखता था ? [RAS/RTS Pre. 2013]
#12. जैन धर्म में पूर्ण ज्ञान प्राप्ति को किस शब्द से सम्बोधित किया जाता है ? [SSC UDC 2012]
#13. 'आजीवक' संप्रदाय के संस्थापक इनमें से कौन थे ? [39th BPSC Pre.1994 / UPPCS Pre.1996]
- आजीवक संप्रदाय के संस्थापक मक्खलिगोसाल थे।
- शुरुआत में मक्खलिगोसाल महावीर स्वामी के शिष्य थे।
- महावीर स्वामी से मतभेद के कारण मक्खलिगोसाल ने अलग संप्रदाय ‘आजीवक‘ बनाया।
- आजीवक संप्रदाय का अस्तित्व 1002 ई. तक रहा।
#14. दक्षिण भारत में स्थित प्रसिद्ध जैन केन्द्र इनमें से कौन हैं ? [SSC CPO/SI 2003]
प्रमुख जैन मंदिर –
- 1) मौर्य काल में मथुरा जैन धर्म का प्रमुख केंद्र था। मथुरा कला का संबंध जैन धर्म से है।
- 2) कर्नाटक के चामुंड शासकों ने श्रवणबेलगोला में विशाल बाहुबली की मूर्ति (गोमतेश्वर की मूर्ति) का निर्माण करवाया।
- 3) मध्यप्रदेश में चंदेल शासकों ने खजुराहो में जैन मंदिरों का निर्माण करवाया।
- 4) राजस्थान के माउंट आबू में दिलवाड़ा के प्रसिद्ध जैन मंदिर है।
#15. जैन धर्म का आधारभूत बिंदु क्या है ?
#16. स्यादवाद सिद्धांत का सम्बन्ध इनमें से किसके लिए है ?
- जैन दर्शन में किसी वस्तु के गुण को समझने, समझाने तथा अभिव्यक्त करने के लिए स्यादवाद सिद्धांत को अपनाया जाता है।
- इस सिद्धांत के अनुसार कोई तथ्य सत्य भी हो सकता है अथवा असत्य भी हो सकता है।
#17. इनमें से कौन सा कथन सही है ?
- आत्मवादियों तथा नास्तिकों के एकान्तिक मतों को छोड़कर महावीर स्वामी ने अनेकान्तवाद या स्यादवा को अपनाया।
- अनेकान्तवाद या स्यादवा मत के अनुसार किसी वस्तु के अनेक धर्म होते हैं।
- अज्ञान बंधन का कारण है, जिसके कारण जीव कर्म की ओर आकर्षित होता है।
#18. श्वेतांबर आगम का संपादन अंतिम रूप से इनमें से किस जैन सभा में हुआ ? [NDA 2015]
- मौर्य के शासन काल में प्रथम जैन सम्मेलन का आयोजन पाटलिपुत्र में हुआ था।
- इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य प्राचीन जैन शास्त्रों का संकलन करना था।
- इसी सम्मेलन में श्वेतांबर आगम का संपादन हुआ था।
#19. जैन धर्म के सभी 12 अंग में इनमें से किस अंग में जैनेत्तर मतों का खण्डन किया गया है?
- जैनेत्तर मतों का खण्डन सूयग दंग सूत्र में किया गया है।
- जैन धर्म से संबंधित उपदेश का वर्णन समवायंग सूत्र में किया गया है।
- अच्छे-बुरे कर्मों के फलों का विवरण विवाग सुयम् में किया गया है।
- मृत्यु के संबंध में वर्णन अंतगड्डदसाओं में किया गया है।
#20. तीर्थंकर शब्द इनमें से किस धर्म से संबंधित है ? [CDS 2011]
#21. इनमें से कौन सबसे पूर्वकालिक जैन ग्रंथ कहलाता है?
- महावीर स्वामी ने मौलिक सिद्धांतों का संकलन “14 पूर्व” में किया है यह जैन धर्म का प्राचीनतम धर्म ग्रंथ है।
- जैन धर्म में 12 अंग तथा उपांग भी हैं।
#22. इनमें से कौन-सा धर्म विनाशकारी प्रलय में विश्वास नहीं करता है ? [UPPCS (Mains) 2014]
#23. इनमें से कौन जैन सिद्धांत के अनुसार सही है ?
#24. प्रभासगिरि इनमें से किस धर्म का तीर्थ स्थल है ? [RRB Mumbai CC 2005]
#25. "भाग्य सब कुछ निर्धारित करता है, मनुष्य असमर्थ होता है" यह किसने प्रतिपादित किया था ?
#26. गोमतेश्वर की विशाल प्रतिमा श्रवणबेलगोला में किसके द्वारा स्थापित की गई ? [RRB Ranchi Tech. 2005]
#27. इनमें से कौन सा कथन सही है ?
- जैन धर्म में कुल 24 तीर्थकर हुए।
- पहले तीर्थकर – ऋषभदेव, 23 वें तीर्थकर – पार्श्वनाथ, 24 वें तीर्थंकर – महावीर स्वामी।
#28. जैन धर्म का अंतिम तीर्थकर इनमें से कौन था ?
#29. अनेकांतवाद इनमें से किस मत का सिद्धांत एवं दर्शन है?
जैन आध्यात्म आधारित है वास्तविक तथा अनेकवाद पर, इसे अनेकान्तवाद या स्यादवाद कहा जाता है।
- अनेकान्तवाद – अलग अलग नजरिये से देखने पर सत्य और वास्तविकता भी अलग-अलग दिखती है। इसलिए ही दृष्टिकोण से पुरे सत्य को नहीं जाना जा सकता।
- स्यादवाद – हमारा ज्ञान सिमित तथा सापेक्ष है। हमें अपने पास असीमित ज्ञान होने के दावे से बचना चाहिए।
#30. महावीर के बचपन का नाम क्या था ?
#31. इनमें से किस स्थल का सम्बन्ध पार्श्वनाथ से है तथा जैनियों का तीर्थस्थल मन जाता है ?
#32. इनमें से कौन जैन साहित्य का भाग नहीं हैं ?
- आचारांगसूत्र, सूत्रकृतांग एवं बृहत्कल्पसूत्र जैन साहित्य के भाग हैं मगर ‘थेरीगाथा’ बौद्ध साहित्य का भाग है।
#33. जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर इनमें से कौन थे?
#34. इनमें से किसने बराबर की गुफाओं का उपयोग आश्रयगृह के रूप में किया?
#35. यापनीय इनमें से किस संप्रदाय से सम्बंधित है ?
#36. इनमें से किस भाषा में प्रारंभिक जैन साहित्य लिखे गए?
#37. 'महामस्तकाभिषेक' इनमें से किससे संबंधित है ?
#38. महावीर की माता का नाम क्या था ?
#39. इनमें से किस नगर में महावीर जैन की मृत्यु हुई थी ?
#40. इनमें से कौन जैन तीर्थकर नहीं था?
जैन धर्म (Jain Dharm) –
जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए। जैन धर्म की स्थापना ऋषभदेव ने की थी। ऋग्वेद में प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव तथा 22वें तीर्थंकर अरिष्टनेमि का उल्लेख मिलता है। पार्श्वनाथ जैनधर्म के 23वें तीर्थंकर थे। पार्श्वनाथ के अनुयायियों को ‘निग्रंथ‘ कहा जाता था। पार्श्वनाथ ने चार महाव्रत का प्रतिपादन किया था वो इस प्रकार हैं – सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह (धन संचय का त्याग) तथा अस्तेय (चोरी न करना)। ‘पुष्पचूला‘ जैन धर्म में स्त्री संघ की अध्यक्षा थी।
महावीर स्वामी जैन धर्म के वास्तविक संस्थापक तथा 24वें एवं अंतिम तीर्थंकर थे। महावीर ने एक संघ की स्थापना की जिसमें 11 अनुयायी सम्मिलित थे इन अनुयायी को ‘गणधर‘ कहा गया । जैन धर्म का विश्वास पुनर्जन्म तथा कर्मवाद में है जिसके अनुसार कर्म ही जन्म और मृत्यु का कारण है। जैन धर्म में जीवों की हिंसा के कारण युद्ध तथा कृषि दोनों वर्जित हैं। जैन धर्म में मूर्ति पूजा का प्रचलन हैं। झारखंड के गिरिडीह ज़िले में स्थित ‘सम्मेद पर्वत'(पारसनाथ पहाड़ी) पर पार्श्वनाथ को निर्वाण प्राप्त हुआ।
पारश्वनाथ जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर थे तथा इन्हें ज्ञान की प्राप्ति झारखंड के सम्मेद शिखर (पारसनाथ पहाड़ी) पर हुई थी। महावीर स्वामी का जीवन काल पारश्वनाथ के जीवन काल से लगभग 250 वर्ष बाद का हैं।
पारश्वनाथ ने ज्ञान प्राप्ति के बाद 4 नियम बताएं –
- अहिंसा – हिंसा ना करना
- सत्य – सदा सत्य बोलना
- अस्तेय – चोरी ना करना
- अपरिग्रह – संपत्ति ना रखना
“ब्रम्ह्चर्य” का पांचवां नियम महावीर स्वामी ने दिया था।
प्रमुख जैन तीर्थंकर और उनके प्रतीक चिन्ह –
जैन तीर्थंकर | प्रतीक चिन्ह | जैन तीर्थंकर | प्रतीक चिन्ह |
---|---|---|---|
ऋषभदेव (आदिनाथ) | वृषभ | विमलनाथ | वराह |
अजितनाथ | गज | अनंतनाथ | श्येन |
संभवनाथ | अश्व | धर्मनाथ | वज्र |
अभिनंदन नाथ | कपि | शांतिनाथ | मृग |
सुमतिनाथ | क्रौंच | कुंथुनाथ | अज |
पद्मप्रभु | पद्म | अरनाथ | मीन |
सुपार्श्वनाथ | स्वास्तिक | मल्लिनाथ | कलश |
चंद्रप्रभु | चंद्र | मुनिसुव्रत | कूर्म |
सुविधिनाथ | मकर | नेमिनाथ | नीलोत्पल |
शीतलनाथ | श्रीवत्स | अरिष्टिनेमि | शंख |
श्रेयांसनाथ | गैंडा | पार्श्वनाथ | सर्प का फन |
वसुपूज्य | महिष | महावीर स्वामी | सिंह |
महावीर स्वामी –
महावीर स्वामी को जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक कहा जाता है। जैन धर्म के 24वें तथा अंतिम तीर्थकर महावीर स्वामी थे। 540 ईसा पूर्व महावीर स्वामी का जन्म कुंडग्राम (वैशाली) में हुआ था।
महावीर स्वामी का जीवन परिचय –
जन्म | 540 ई.पू. |
जन्मस्थल | कुंडग्राम (वैशाली), बिहार |
बचपन का नाम | वर्धमान |
पिता | सिद्धार्थ (ज्ञातृक कुल के प्रधान) |
माता | त्रिशला (लिच्छवी के शासक चेटक की बहन) |
पत्नी | यशोदा (कुंडीय गोत्र की कन्या) |
भाई | नंदिवर्धन |
दामाद | जामालि |
पुत्री | प्रियदर्शना |
गृहत्याग | 30 वर्ष की उम्र में अपने बड़े भाई नंदिवर्धन की अनुमति लेकर। |
शिष्य | मक्खलिपुत्रगोशाल (आजीवक संप्रदाय के संस्थापक) |
ज्ञान प्राप्ति (कैवल्य) | 12 वर्ष की तपस्या के बाद ऋजुपालिका नदी के तट पर साल वृक्ष के नीचे। |
प्रमुख उपाधि | केवलिन (कैवल्य-सर्वोच्च ज्ञान प्राप्त व्यक्ति), जिन (विजेता), निर्ग्रन्थ (बंधनरहित), अर्हत (पूज्य) |
निर्वाण मृत्यु | 468 ई.पू. पावापुरी (वर्तमान राजगीर के समीप) में मल्ल राजा सुस्तपाल के यहाँ। |
महावीर स्वामी का आध्यात्मिक जीवन –
30 वर्ष की उम्र में महावीर स्वामी ने अपने माता पिता की मृत्यु के बाद अपने बड़े भाई नंदीवर्धन से अनुमति लेकर सन्यास जीवन को स्वीकार किया था। महावीर स्वामी ने 12 वर्षों तक कठिन तपस्या की जिसके बाद ऋजुपालिका नदी के तट पर साल वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई तथा ज्ञान की प्राप्ति को “कैवल्य‘ कहा गया।
ज्ञान की प्राप्ति के बाद महावीर स्वामी अर्हत(पूज्य), निरग्रंथ (बंधनहीन), जिन(विजेता) कहलाए। महावीर स्वामी ने अपने उपदेश प्राकृत भाषा में दिए। महावीर स्वामी ने अपना पहला उपदेश राजगीर में दिया तथा अंतिम उपदेश पावापुरी में दिया था। उनके दामाद जमालि महावीर स्वामी के प्रथम भिक्षु बने।
महावीर स्वामी ने ज्ञान प्राप्ति के बाद 5 नियम बताएं जिसे पंचायन धर्म कहा गया –
- हिंसा ना करना
- सदा सत्य बोलना
- चोरी ना करना
- संपत्ति ना रखना
- ब्रम्हचर्य
महावीर स्वामी ने त्रिरत्न दिए –
- सम्यक् दर्शन
- सम्यक् ज्ञान
- सम्यक् आचरण
जैन धर्म में ईश्वर के बजाय आत्मा की मान्यता है। जिस कारण महावीर स्वामी ने मूर्ति पूजा और कर्मकांड का विरोध किया था। जैन धर्म में पुनर्जन्म की मान्यता हैं। महावीर स्वामी की मृत्यु (निर्वाण) 468 ईसा पूर्व 72 वर्ष की उम्र में बिहार राज्य के पावापुरी में हो गई।
मौर्य काल में 12 वर्ष का भीषण अकाल पड़ा जिसके कारण भद्रबाहु अपने अनुयायियों के साथ दक्षिण भारत में कर्नाटक चले गए और उनके साथ चंद्रगुप्त मौर्य भी आए थे जिन्होंने कर्नाटक के श्रवणबेलगोला में “संलेखना” विधि के द्वारा अपने प्राण त्याग दिए।
जैन धर्म के प्रचार के लिए दो जैन संगीतियां हुई –
जैन संगीति | प्रथम जैन संगीति | द्वितीय जैन संगीति |
वर्ष | 300 ई. पू. | 512 ई. पू. |
स्थान | पाटलिपुत्र (बिहार) | वल्लभी (गुजरात) |
अध्यक्ष | स्थूलभद्र | देवर्धि क्षमाश्रमण |
परिणाम | बिखरे एवं लुप्त ग्रंथों का संचयन, 12 अंगों का संकलन, जैन धर्म का दो संप्रदायों में विभाजन (श्वेतांबर तथा दिगंबर) | कुल 11 अंगों को लिपिबद्ध किया गया। |
श्वेताम्बर तथा दिगम्बर –
प्रथम जैन संगीति के बाद जैन धर्म दो सम्प्रदायों में बँट गया – श्वेताम्बर तथा दिगम्बर।
श्वेताम्बर | दिगम्बर |
---|---|
श्वेताम्बर के संस्थापक स्थूलभद्र थे। | दिगम्बर के संस्थापक भद्रबाहु थे। |
ये सफेद वस्त्र पहनते थे। | ये निर्वस्त्र रहते थे। |
महिलाओं को मोक्ष मिल सकता है। | महिलाओं को मोक्ष नहीं मिल सकता। |
19वें तिर्थकर मल्लीनाथ महिला थी। | 19वें तिर्थकर मल्लिनाथ पुरूष थे। |
इनके अनुसार महावीर स्वामी विवाहित थे। | इनके अनुसार महावीर स्वामी विवाहित नहीं थे। |
जैन साहित्य किसी एक काल की रचना नहीं है, इसका संकलन भिन्न-भिन्न कालों में हुआ है। जैन साहित्य को आगम कहा जाता है आगम का अर्थ सिद्धांत हैं।
- 12 अंग
- 12 उपांग
- 10 प्रकीर्ण
- 6 छेद सूत्र
- 4 मंगल सूत्र
प्रमुख जैन मंदिर –
- मौर्य काल में मथुरा जैन धर्म का प्रमुख केंद्र था। मथुरा कला का संबंध जैन धर्म से है।
- कर्नाटक के चामुंड शासकों ने श्रवणबेलगोला में विशाल बाहुबली की मूर्ति (गोमतेश्वर की मूर्ति) का निर्माण करवाया।
- मध्यप्रदेश में चंदेल शासकों ने खजुराहो में जैन मंदिरों का निर्माण करवाया।
- राजस्थान के माउंट आबू में दिलवाड़ा के प्रसिद्ध जैन मंदिर है।
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FAQ of Jain Dharm MCQ in Hindi –
जैन धर्म के प्रमुख 3 नियम क्या थे?
जैन धर्म के प्रमुख 3 नियम हैं अहिंसा, अपरिग्रह (धन संचय का त्याग) तथा अस्तेय (चोरी न करना)।
जैन धर्म के 5 मुख्य सिद्धांत क्या हैं?
महावीर स्वामी ने ज्ञान प्राप्ति के बाद 5 नियम बताएं जिसे पंचायन धर्म कहा गया। ये पाँच सिद्धांत निम्नलिखित हैं – सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह (धन संचय का त्याग), अस्तेय (चोरी न करना) तथा ब्रम्हचर्य।
जैन धर्म का पवित्र ग्रंथ क्या है?
जैन धर्म के पवित्र ग्रंथ को आगम या आगम सूत्र कहा जाता है। इस ग्रंथ में महावीर स्वामी के उपदेश उल्लेखित हैं।
जैन धर्म के संस्थापक कौन हैं?
जैन धर्म की स्थापना ऋषभदेव ने की थी मगर महावीर स्वामी को जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक कहा जाता है।
Jain Dharm MCQ in Hindi सभी प्रश्न अति महत्वपूर्ण है सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं जैसे Railway, SSC, UPSC, IBPS, CHSL के लिए। अगर कोई त्रुटि हो तो जरूर बताएं।
धन्यवाद !
grate
Thank You.