(प्रागैतिहासिक काल) Pragaitihasik kal MCQ in Hindi – Objective question with answer for Prehistoric period – महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
Pragaitihasik kal MCQ / प्रश्न उत्तर –
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#1. इतिहास का जनक किसे कहा जाता है ?
- हेरोडोटस को इतिहास का जनक कहा जाता है।
- इन्होंने सबसे पहले इतिहास के घटनाओं को व्यवस्थित रूप से उल्लेखित किया था।
#2. किस काल में आग का अविष्कार किया गया था ?
पुरापाषाण काल –
- पुरापाषाण खंड 5 लाख ई.पूर्व – 12,000 ई.पूर्व माना जाता है।
- पुरापाषाण काल के मानव को आदिमानव कहा जाता है।
- पुरापाषाण काल में मानव शिकार करके वह भोजन का संग्रहण किया करते थे।
- पुरापाषाण काल में मानव की सबसे बड़ी खोज आग की खोज थी।
- पुरापाषाण काल में मानव पत्थर के औजारों का इस्तेमाल कर शिकार किया करते थे।
- पुरापाषाण काल में मानव ने सर्वप्रथम चित्रकारी करना शुरू किया था, भीमबेटका की गुफाओं में पुरापाषाण काल के चित्र देखने को मिलते हैं।
- नर्मदा नदी घाटी, सोहन नदी घाटी, बेलन नदी घाटी से पुरापाषाण काल के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
#3. ताम्र पाषाण कालीन संस्कृति में महाराष्ट्र के लोग मृतकों को घर के फर्श के नीचे किस तरह रखकर दफनाते थे?
- ताम्र पाषाण कालीन संस्कृति में महाराष्ट्र के लोग मृतकों को घर के फर्श के नीचे ‘उत्तर से दक्षिण दिशा’ में रखकर दफनाते थे।
#4. मानव द्वारा उगाया गया पहला अनाज इनमें से कौन सा था ?
- मानव द्वारा उगाया गया पहला अनाज ‘जौ’ था।
#5. एरण तथा नागदा किस संस्कृति के प्रमुख स्थल है?
मालवा संस्कृति –
- मालवा संस्कृति की प्रमुख स्थल कायथा, एरण, नागदा तथा नवदाटोली थी।
- मालवा मृदभांड अपनी उत्कृष्टता के लिये जाने जाते हैं।
- नवदाटोली से विभिन्न कृषि फसलों के प्रमाण मिले हैं।
#6. अनाजों की खेती सबसे पहले किस काल में प्रारंभ हुई थी ?
नवपाषाण काल –
- नवपाषाण काल खंड 10,000 ई.पूर्व – 3,000 ई.पूर्व माना जाता है।
- नवपाषाण काल में मानव स्थायी घर बना कर रहने लगे थे।
- नवपाषाण काल में मानव ने कृषि करना तथा पशुपालन शुरू कर दिया था।
- सबसे पहले कृषि की शुरुआत नव पाषाण काल में शुरू हुई थी, जौ तथा गेहूँ की खेती के प्रमाण प्राप्त हुए थे।
- नवपाषाण काल में मनुष्य ने पहिए की खोज की थी।
- भारत में स्थित नवपाषाण काल की बस्ती मेहरगढ़ (पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित) में मिली है, इस बस्ती को 7000 ई.पू. का माना गया है।
- नवपाषाण काल का मुख्य केंद्र – रेनीगुंटा (आंध्र प्रदेश), सोन घाटी (मध्य प्रदेश), सिंहभूम (झारखंड), बेलन घाटी (उत्तर प्रदेश)
- बुर्जहोम तथा गुफकराल (कश्मीर) से बहुत से नवपाषाण कालीन गर्त आवास (मानव द्वारा जमीन के अंदर गड्ढा बना कर रहने का प्रमाण), मृदभांड, तथा हड्डी के औजार मिले हैं।
- चिराँद (बिहार) से बहुत मात्रा में नवपाषाण कालीन हड्डी के औजार मिले हैं जो मुख्य रूप से हिरण के सींगों से बने हैं।
- कोल्डिहवा (उत्तर प्रदेश) से चावल का सबसे पुराना साक्ष्य प्राप्त हुआ है।
- नवपाषाण काल के प्रमुख औजार – हथौड़ा, कुल्हाड़ी, खुरपी, बँसुली, छेनी, कुदाल आदि।
#7. नवदाटोली की खुदाई किसने की थी ?
- नवदाटोली ‘मध्य प्रदेश’ राज्य में स्थित है।
- ताम्रपाषाण कालीन स्थल ‘नवदाटोली’ की खुदाई “एच. डी. साँकलिया” ने किया था।
#8. किस काल को माइक्रोलिथ कहा जाता है?
मध्यपाषाण काल –
- मध्यपाषाण काल खंड 12,000 ई.पूर्व – 10,000 ई.पूर्व माना जाता है।
- मध्यपाषाण काल के मानवों ने पशु पालन करना शुरू कर दिया था।
- इस समय मानवों ने छोटे और धारदार हथियार का उपयोग करना शुरू कर दिया था , छोटे हथियारों को (माइक्रोलिथ) कहा जाता है।
- मनुष्य द्वारा पाला गया सबसे पहला जानवर ‘कुत्ता’ था।
- मध्यपाषाण काल में छोटे और धारदार औजारों के उपयोग के कारण इन्हें ‘माइक्रोलिथ’ कहा गया।
- मध्यपाषाण काल के प्रमुख केंद्र हैं- कृष्णा घाटी (कर्नाटक), बेतवा घाटी, बेलन घाटी (उत्तर प्रदेश), सोन घाटी (मध्य प्रदेश), नेवासा (महाराष्ट्र) इत्यादि ।
- बागोर (राजस्थान) और आदमगढ़ (मध्य प्रदेश) से पशुपालन के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
- मध्यपाषाण काल में सबसे पहले कुत्ते को पालतू पशु बनाया गया।
- भारत में मध्यपाषाण काल के मानव कंकाल का पहला अवशेष प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश) के सराय नाहर राय तथा महदहा नामक स्थान से पाए गए हैं।
- विश्व का सबसे पुराने वृक्षारोपण का प्रमाण राजस्थान में स्थित सांभर झील के निकट प्राप्त हुआ है। यहाँ से कई मध्यपाषाण कालीन स्थल प्राप्त हुए हैं।
#9. मनुष्य द्वारा पाला गया पहला जानवर कौन सा था?
- मनुष्य द्वारा पाला गया सबसे पहला जानवर कुत्ता था।
#10. एक ही कब्र से तीन मानव कंकाल इनमें से किस स्थान से निकले हैं? [UPPSC (Pre) 2016]
- दमदमा में हुई खुदाई से कुल मिलाकर 41 मानव शवाधान प्राप्त हुए, एक शवाधान में तीन मानव कंकाल प्राप्त हुए। अन्य शवाधानों एकल मानव कंकाल प्राप्त हुए।
#11. पुरापाषाण, मध्यपाषाण और नवपाषाणकाल का विकास किस क्षेत्र में हुआ था ?
- पुरापाषाण, मध्यपाषाण और नवपाषाणकाल का विकास नर्मदा नदी क्षेत्र में हुआ था।
#12. पशुओं को पालतू बनाए जाने का प्राचीनतम साक्ष्य किन दो स्थलों से प्राप्त हुआ है? [SSC Grad. 1999]
मध्यपाषाण काल –
- मध्यपाषाण काल खंड 12,000 ई.पूर्व से 10,000 ई.पूर्व माना जाता है।
- मध्यपाषाण काल के मानवों ने पशु पालन करना शुरू कर दिया था।
- इस समय मानवों ने छोटे और धारदार हथियार का उपयोग करना शुरू कर दिया था , छोटे हथियारों को (माइक्रोलिथ) कहा जाता है।
- मनुष्य द्वारा पाला गया सबसे पहला जानवर कुत्ता था।
- मध्यपाषाण काल में छोटे और धारदार औजारों के उपयोग के कारण इन्हें ‘माइक्रोलिथ’ कहा गया।
- मध्यपाषाण काल के प्रमुख केंद्र हैं- कृष्णा घाटी (कर्नाटक), बेतवा घाटी, बेलन घाटी (उत्तर प्रदेश), सोन घाटी (मध्य प्रदेश), नेवासा (महाराष्ट्र) इत्यादि ।
- बागोर (राजस्थान) और आदमगढ़ (मध्य प्रदेश) से पशुपालन के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
- मध्यपाषाण काल में सबसे पहले कुत्ते को पालतू पशु बनाया गया।
- भारत में मध्यपाषाण काल के मानव कंकाल का पहला अवशेष प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश) के सराय नाहर राय तथा महदहा नामक स्थान से पाए गए हैं।
- विश्व का सबसे पुराने वृक्षारोपण का प्रमाण राजस्थान में स्थित सांभर झील के निकट प्राप्त हुआ है। यहाँ से कई मध्यपाषाण कालीन स्थल प्राप्त हुए हैं।
#13. इनमें से किस रूप में 'वृहत्पाषाण स्मारकों' की पहचान की गई है ?
- ‘वृहत्पाषाण स्मारकों’ की पहचान मृतक को दफनाने के स्थान के रूप में की गई है।
#14. हड्डी से निर्मित आभूषण भारत में मध्यपाषाण काल में कहाँ से प्राप्त हुए थे ? [SSC Grad. 2004]
- हड्डी से निर्मित आभूषण भारत में मध्यपाषाण काल में महदहा से प्राप्त हुए थे।
#15. इनमें से किसे ‘चालकोलिथिक काल’ भी कहा जाता है? [BPSC 2000]
- ताम्र पाषाण काल को चालकोलिथिक काल (Chalcolithic Age) भी कहा जाता है।
- ताम्र पाषाण काल में मानव पत्थरों के साथ तांबे का उपयोग किया करते थे।
- ताम्रपाषाण की संस्कृति ग्रामीण थी।
#16. कोपेनहेगन संग्रहालय की सामग्री से पाषाण, कांस्य और लौह युग का त्रियुगीन विभाजन इनमें से किसने किया था ? [U.P.R.O/ARO (Mains) 2013]
- कोपेनहेगन संग्रहालय की सामग्री से पाषाण, कांस्य और लौह युग का त्रियुगीन विभाजन क्रिश्चियन जर्गेनसन थॉमसन ने 1820 ई. में किया था।
#17. पुरापाषाण काल में आदिमानव के मनोरंजन का क्या साधन था ?
- इसका काल खंड 5 लाख ई.पूर्व से 12,000 ई.पूर्व माना जाता है।
- पुरापाषाण काल के मानव को आदिमानव कहा जाता है।
- पुरापाषाण काल में मानव शिकार करके वह भोजन का संग्रहण किया करते थे।
- पुरापाषाण काल में मानव की सबसे बड़ी खोज आग की खोज थी।
- पुरापाषाण काल में मानव पत्थर के औजारों का इस्तेमाल कर शिकार किया करते थे।
- पुरापाषाण काल में मानव ने सर्वप्रथम चित्रकारी करना शुरू किया था, भीमबेटका की गुफाओं में पुरापाषाण काल के चित्र देखने को मिलते हैं।
- नर्मदा नदी घाटी, सोहन नदी घाटी, बेलन नदी घाटी से पुरापाषाण काल के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
#18. रॉबर्ट ब्रूस फुट जिन्होनें भारत में सर्वप्रथम पाषाण कालीन सभ्यता की खोज की थी वो क्या थे ? [UP Lower Sub. (Pre) 2015]
- 1863 ई. में रॉबर्ट ब्रूस फुट ने भारत में सर्वप्रथम पाषाण कालीन सभ्यता की खोज की थी।
- रॉबर्ट ब्रूस फुट एक भूगर्भशास्त्री और पुरातत्ववेत्ता थे। उन्हें अक्सर भारत के प्रागैतिहासिक अध्ययन का संस्थापक माना जाता है।
#19. 'इनामगाँव' कहाँ स्थित है ?
- ‘इनामगाँव’ महाराष्ट्र जिले में स्थित है।
- ‘इनामगाँव’ से कच्ची मिट्टी के मकान तथा गोलाकार गड्ढों वाले मकान के प्रमाण प्राप्त हुए हैं।
#20. "भीमबेटका गुफा" किस राज्य में स्थित है ? [SSC-2017]
- मध्य प्रदेश राज्य में “भीमबेटका गुफा” स्थित है।
#21. इनमें से किस काल का संबंध ‘फलक संस्कृति’ से है ?
- मध्य पुरापाषाण काल में बहुतायत मात्रा में कोर, फ्लेक तथा ब्लेड उपकरण प्राप्त हुए हैं।
- फलकों के अधिक मात्रा में पाए जाने के कारण मध्य पुरापाषाण काल को ‘फलक संस्कृति’ की संज्ञा दी गई है।
- मध्य पुरापाषाण काल में क्वार्टज़ाइट पत्थर का प्रयोग करके औजारों को बनाया जाता था।
- मध्य पुरापाषाण काल के औजारों के साक्ष्य झारखण्ड में सिंहभूम, उत्तर प्रदेश में चकिया (वाराणसी), गुजरात में सौराष्ट्र क्षेत्र, बेलन घाटी (इलाहाबाद), मध्य प्रदेश के भीमबेटका गुफाओं तथा सोन घाटी, हिमाचल में व्यास, महाराष्ट्र में नेवासा, वानगंगा तथा सिरसा घाटियों आदि विविध पुरास्थलों से प्राप्त हुए हैं।
#22. इनमें से कहाँ प्राचीनतम स्थायी जीवन के प्रमाण प्राप्त हुए हैं ?
- मेहरगढ़ से गेहूँ की तीन व जौ की दो किस्मों की खेती के प्रमाण, कच्ची ईंटों के आयताकार मकान और प्राचीनतम् स्थायी जीवन के प्रमाण प्राप्त हुए हैं।
#23. 'नवपाषाण' या ‘नियोलिथिक’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया था ?
- ‘नवपाषाण काल’ या ‘नियोलिथिक’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग “सर जॉन लुब्बाक” ने 1865 ई. में किया था।
#24. इनमें से किस स्थल से मानव कंकाल के साथ कुत्ते का कंकाल भी शवाधान से प्राप्त हुआ है? [UKPCS 2008]
- बुर्जहोम से मानव कंकाल के साथ कुत्ते का कंकाल भी शवाधान से प्राप्त हुआ है।
#25. पहिये का आविष्कार किस काल में हुआ?
नवपाषाण काल –
- नवपाषाण काल खंड 10,000 ई.पूर्व – 3,000 ई.पूर्व मानी जाती है।
- नवपाषाण काल में मानव स्थायी घर बना कर रहने लगे थे।
- नवपाषाण काल में मानव ने कृषि करना तथा पशुपालन शुरू कर दिया था।
- नवपाषाण काल में मनुष्य ने पहिए की खोज की थी।
- भारत में स्थित नवपाषाण काल की बस्ती मेहरगढ़ (पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित) में मिली है, इस बस्ती को 7000 ई.पू. का माना गया है।
- नवपाषाण काल का मुख्य केंद्र – रेनीगुंटा (आंध्र प्रदेश), सोन घाटी (मध्य प्रदेश), सिंहभूम (झारखंड), बेलन घाटी (उत्तर प्रदेश)
- बुर्जहोम एवं गुफकराल (कश्मीर) से बहुत से नवपाषाण कालीन गर्तावास (मानव द्वारा जमीन के अंदर गड्ढा बना कर रहने का प्रमाण), मृदभांड, तथा हड्डी के औजार मिले हैं।
- चिराँद (बिहार) से बहुत मात्रा में नवपाषाण कालीन हड्डी के औजार मिले हैं जो मुख्य रूप से हिरण के सींगों से बने हैं।
- कोल्डिहवा (उत्तर प्रदेश) से चावल का सबसे पुराना साक्ष्य प्राप्त हुआ है।
- नवपाषाण काल के प्रमुख औजार – हथौड़ा, कुल्हाड़ी, खुरपी, बँसुली, छेनी, कुदाल आदि।
#26. पाषाण संस्कृति से लेकर हड़प्पा सभ्यता तक के सांस्कृतिक अवशेष इनमें से किस पुरास्थल से प्राप्त हुए हैं? [U.P. Lower Sub. (Pre) 2008]
- पाषाण संस्कृति से लेकर हड़प्पा सभ्यता तक के सांस्कृतिक अवशेष मेहरगढ़ पुरास्थल से प्राप्त हुए हैं।
#27. उस काल को क्या कहा जाता है जिस काल की लिपि को पढ़ा नहीं जा सका है ?
आद्य ऐतिहासिक काल –
- पाषाण युग की समाप्ति के बाद धातुओं के युग का प्रारम्भ हुआ।
- इसी युग को आद्य ऐतिहासिक काल या धातु काल कहा जाता है।
- इस काल में लिपि तो मिली है पर उस लिपि को अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।
- हड़प्पा संस्कृति तथा वैदिक संस्कृति की गणना आद्य ऐतिहासिक काल में ही की जाती है।
- गैरिक एवं कृष्ण लोहित मृदभांड आद्य ऐतिहासिक काल से संबंधित हैं।
#28. भीमबेटका की गुफाएं किसके लिए प्रसिद्ध है? [M.P.P.S.C Pre 2004]
- मानवों के द्वारा बनाया गया शैलचित्रों का प्रमाण भीमबेटका (मध्यप्रदेश) की गुफाओं से मिले हैं।
#29. नवदाटोली किस राज्य में स्थित है? [UPPCS 2009]
- नवदाटोली मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है।
- ताम्रपाषाण कालीन स्थल ‘नवदाटोली’ की खोज “एच. डी. साँकलिया” ने किया था।
#30. मध्यपाषाण काल में पशुपालन के प्रमाण कहाँ से प्राप्त हुए थे ? [UPPSC (Mains) 2006]
मध्यपाषाण काल –
- मध्यपाषाण काल खंड 12,000 ई.पूर्व से 10,000 ई.पूर्व माना जाता है।
- मध्यपाषाण काल के मानवों ने पशु पालन करना शुरू कर दिया था।
- इस समय मानवों ने छोटे और धारदार हथियार का उपयोग करना शुरू कर दिया था , छोटे हथियारों को (माइक्रोलिथ) कहा जाता है।
- मनुष्य द्वारा पाला गया सबसे पहला जानवर कुत्ता था।
- मध्यपाषाण काल में छोटे और धारदार औजारों के उपयोग के कारण इन्हें ‘माइक्रोलिथ’ कहा गया।
- मध्यपाषाण काल के प्रमुख केंद्र हैं- कृष्णा घाटी (कर्नाटक), बेतवा घाटी, बेलन घाटी (उत्तर प्रदेश), सोन घाटी (मध्य प्रदेश), नेवासा (महाराष्ट्र) इत्यादि ।
- बागोर (राजस्थान) और आदमगढ़ (मध्य प्रदेश) से पशुपालन के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
- मध्यपाषाण काल में सबसे पहले कुत्ते को पालतू पशु बनाया गया।
- भारत में मध्यपाषाण काल के मानव कंकाल का पहला अवशेष प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश) के सराय नाहर राय तथा महदहा नामक स्थान से पाए गए हैं।
- विश्व का सबसे पुराने वृक्षारोपण का प्रमाण राजस्थान में स्थित सांभर झील के निकट प्राप्त हुआ है। यहाँ से कई मध्यपाषाण कालीन स्थल प्राप्त हुए हैं।
#31. ‘राख का टीला’ इनमें से किस नवपाषाण कालीन स्थल से सम्बन्धित है? [UPPCS 2009]
- नवपाषाण कालीन स्थल संगनकल्लू (कर्नाटक) से ‘राख का टीला’ प्राप्त हुआ है, जो बेल्लारी जिले में स्थित है।
- इन टीलों को उस काल के चरवाहा समूह के शिविरों के जले हुए अवशेष माना गया है।
#32. सबसे पहले चावल (धान) के प्रमाण कहाँ से प्राप्त हुए ?
- कोल्डिहवा से चावल (धान) की खेती के प्रमाण प्राप्त हुए हैं, जो धान की खेती का भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व में सबसे प्राचीन साक्ष्य माना जाता है।
#33. भारत में मानव के प्रमाण सर्वप्रथम इनमें से किस स्थल से प्राप्त हुए ?
- भारत में मानव के प्रमाण सबसे पहले नर्मदा घाटी क्षेत्र (मध्य प्रदेश) से प्राप्त हुए हैं।
#34. सबसे पहले अनाज की खेती किस काल में शुरू हुई थी ? [UPPSC (Mains) 2005]
- सबसे पहले कृषि की शुरुआत नवपाषाण काल में शुरू हुई थी।
- जौ तथा गेहूँ की खेती के प्रमाण प्राप्त हुए थे।
- कोल्डिहवा (उत्तर प्रदेश) से चावल का सबसे पुराना साक्ष्य प्राप्त हुआ है।
#35. इनमें से किस स्थान से मध्यपाषाण काल में पशुपालन के प्रमाण मिलते हैं? [UPPSC 2018]
मध्यपाषाण काल –
- मध्यपाषाण काल खंड 12,000 ई.पूर्व से 10,000 ई.पूर्व माना जाता है।
- मध्यपाषाण काल के मानवों ने पशु पालन करना शुरू कर दिया था।
- इस समय मानवों ने छोटे और धारदार हथियार का उपयोग करना शुरू कर दिया था , छोटे हथियारों को (माइक्रोलिथ) कहा जाता है।
- मनुष्य द्वारा पाला गया सबसे पहला जानवर कुत्ता था।
- मध्यपाषाण काल में छोटे और धारदार औजारों के उपयोग के कारण इन्हें ‘माइक्रोलिथ’ कहा गया।
- मध्यपाषाण काल के प्रमुख केंद्र हैं- कृष्णा घाटी (कर्नाटक), बेतवा घाटी, बेलन घाटी (उत्तर प्रदेश), सोन घाटी (मध्य प्रदेश), नेवासा (महाराष्ट्र) इत्यादि ।
- बागोर (राजस्थान) और आदमगढ़ (मध्य प्रदेश) से पशुपालन के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
- मध्यपाषाण काल में सबसे पहले कुत्ते को पालतू पशु बनाया गया।
- भारत में मध्यपाषाण काल के मानव कंकाल का पहला अवशेष प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश) के सराय नाहर राय तथा महदहा नामक स्थान से पाए गए हैं।
- विश्व का सबसे पुराने वृक्षारोपण का प्रमाण राजस्थान में स्थित सांभर झील के निकट प्राप्त हुआ है। यहाँ से कई मध्यपाषाण कालीन स्थल प्राप्त हुए हैं।
#36. भारतीय पुरातत्व का पिता किसे कहा जाता है?
- भारतीय पुरातत्व का पिता सर अलेक्ज़ेंडर कनिंघम को कहा जाता है।
- 1863 ई. में रॉबर्ट ब्रूस फुट ने भारत में सर्वप्रथम पाषाण कालीन सभ्यता की खोज की थी।
- रॉबर्ट ब्रूस फुट एक भूगर्भशास्त्री और पुरातत्ववेत्ता थे। उन्हें अक्सर भारत के प्रागैतिहासिक अध्ययन का संस्थापक माना जाता है।
#37. इतिहास के आरम्भिक काल को इनमें से क्या कहा जाता है ? [SSC-2017]
पुरापाषाण काल –
- पुरापाषाण काल खंड 5 लाख ई.पूर्व – 12,000 ई.पूर्व माना जाता है।
- पुरापाषाण काल के मानव को आदिमानव कहा जाता है।
- पुरापाषाण काल में मानव शिकार करके वह भोजन का संग्रहण किया करते थे।
- पुरापाषाण काल में मानव की सबसे बड़ी खोज आग की खोज थी।
- पुरापाषाण काल में मानव पत्थर के औजारों का इस्तेमाल कर शिकार किया करते थे।
- पुरापाषाण काल में मानव ने सर्वप्रथम चित्रकारी करना शुरू किया था, भीमबेटका की गुफाओं में पुरापाषाण काल के चित्र देखने को मिलते हैं।
- नर्मदा नदी घाटी, सोहन नदी घाटी, बेलन नदी घाटी से पुरापाषाण काल के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
#38. गर्त आवास के प्रमाण इनमें से कहाँ से प्राप्त हुए हैं ?
- बुर्जहोम तथा गुफकराल (कश्मीर) से बहुत से नवपाषाण कालीन गर्त आवास (मानव द्वारा जमीन के अंदर गड्ढा बना कर रहने का प्रमाण), मृदभांड, तथा हड्डी के औजार मिले हैं।
- बुर्जहोम से मानव कंकाल के साथ कुत्ते का कंकाल भी शवाधान से प्राप्त हुआ है।
#39. भारत में पशुपालन एवं कृषि के प्राचीनतम प्रमाण कहाँ से प्राप्त हुए हैं ? [BPSC 2018]
- भारत में पशुपालन एवं कृषि के प्राचीनतम प्रमाण मेहरगढ़ से प्राप्त हुए हैं।
#40. पत्थर के औजार किस काल में सबसे पहले पाए गए थे ? [SSC-2017]
- पुरापाषाण काल खंड 5 लाख ई.पूर्व से 12,000 ई.पूर्व माना जाता है।
- पुरापाषाण काल के मानव को आदिमानव कहा जाता है।
- पुरापाषाण काल में मानव शिकार करके वह भोजन का संग्रहण किया करते थे।
- पुरापाषाण काल में मानव की सबसे बड़ी खोज आग की खोज थी।
- पुरापाषाण काल में मानव पत्थर के औजारों का इस्तेमाल कर शिकार किया करते थे।
- पुरापाषाण काल में मानव ने सर्वप्रथम चित्रकारी करना शुरू किया था, भीमबेटका की गुफाओं में पुरापाषाण काल के चित्र देखने को मिलते हैं।
- नर्मदा नदी घाटी, सोहन नदी घाटी, बेलन नदी घाटी से पुरापाषाण काल के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
#41. मध्य पाषाण काल में पशुपालन के प्रमाण इनमें से किस स्थान से प्राप्त हुए हैं ?
- बागोर (राजस्थान) और आदमगढ़ (मध्य प्रदेश) से पशुपालन के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
#42. सबसे पहले कृषि के प्रमाण कहाँ से प्राप्त हुए ?
- मेहरगढ़ से गेहूँ की तीन व जौ की दो किस्मों की खेती के प्रमाण, कच्ची ईंटों के आयताकार मकान और प्राचीनतम् स्थायी जीवन के प्रमाण मिले हैं।
#43. किस संस्कृति का प्रमुख दैमाबाद तथा इनामगाँव को माना जाता है ?
जोरवे संस्कृति (महाराष्ट्र ) –
- जोरवे, नेवासा, दैमाबाद तथा इनामगाँव जोरवे संस्कृति के प्रमुख स्थल हैं।
- दैमाबाद से अधिक मात्रा में काँसे की वस्तुएँ मिली हैं।
- यह हड़प्पा संस्कृति का प्रभाव दिखलाती है।
- दैमाबाद से गैंडा, हाथी, भैंसा तथा रथ चलाते हुए मनुष्य की आकृति मिली है।
- ताम्रपाषाण युग की बड़ी बस्ती इनामगाँव थी। इनामगाँव खाई से घिरी हुई और किला बंद थी।
- ताम्र पाषाणिक संस्कृति का लोप लगभग 1200 ई. पू. हो गया था मगर सिर्फ जोरवे संस्कृति ही 700 ई. पू. तक बची रही थी।
अतीत में घटित घटनाओं के विवरण को इतिहास कहते हैं। अतीत के अध्ययन को ही इतिहास कहा जाता है। इतिहास का जनक हेरोडोटस (Herodotus) को माना जाता है।
इतिहास को तीन भागों में विभाजित किया गया है –
- प्रागैतिहासिक काल (Prehistoric period) – इस काल में मानव ने किसी भी लिपि या लेखन कला का अविष्कार नहीं किया था। प्रागैतिहासिक काल की जानकारी मुख्यतः पुरातात्विक अवशेषों से प्राप्त होती है। इतिहासकरों का मानना था मानव का जीवन सभ्य नहीं था प्रागैतिहासिक काल में।
- आद्य-ऐतिहासिक काल (Proto-Historic Period) – इस काल में मानवों ने लिपि का अविष्कार कर लिया था पर अभी तक हम उस लिपि को पढ़ नहीं सके। आद्य-ऐतिहासिक काल को प्रागैतिहासिक काल के तुरंत बाद का काल माना जाता है। सिंधु सभ्यता इसी काल में विकसित हुई थी।
- ऐतिहासिक काल (Historic Period) – ऐतिहासिक काल में मानवों ने लिपि का अविष्कार कर लिया था तथा यह लिपि हम पढ़ भी सकते हैं।
प्रागैतिहासिक काल (Prehistoric period) –
इस काल में मानव ने किसी भी लिपि या लेखन कला का अविष्कार नहीं किया था, इस कालखंड की जानकारी हमें केवल अवशेषों से मिलती है, अध्ययन की दृष्टि से प्रागैतिहासिक काल को दो खंडों में बांटा गया है –
- पाषाण काल
- ताम्र पाषाण काल
पाषाण काल –
1863 ई. में रॉबर्ट ब्रूस फुट ने भारत में सर्वप्रथम पाषाण कालीन सभ्यता की खोज की थी। रॉबर्ट ब्रूस फुट एक भूगर्भशास्त्री और पुरातत्ववेत्ता थे। उन्हें अक्सर भारत के प्रागैतिहासिक अध्ययन का संस्थापक माना जाता है।
भारतीय पुरातत्व का पिता सर अलेक्ज़ेंडर कनिंघम को कहा जाता है। अध्ययन की दृष्टि से पाषाण काल को तीन भागों में बांटा गया है –
- पूरा पाषाण काल (Paleolithic Age)
- मध्य पाषाण काल (Mesolithic Age)
- नव पाषाण काल (Neolithic Age)
पुरापाषाण काल (Paleolithic Age) –
- इसका काल खंड 5 लाख ई.पू. से 12000 ई.पू. माना जाता है।
- पुरापाषाण काल के मानव को आदिमानव कहा जाता है।
- पुरापाषाण काल में मानव शिकार करके वह भोजन का संग्रहण किया करते थे।
- “पुरापाषाण काल” को शिकार तथा खाद्य-संग्रहण काल कि नाम से भी जाना जाता था।
- पुरापाषाण काल में मानव की सबसे बड़ी खोज आग की खोज थी।
- पुरापाषाण काल में मानव पत्थर के औजारों का इस्तेमाल कर शिकार किया करते थे।
- पुरापाषाण काल में मानव ने सर्वप्रथम चित्रकारी करना शुरू किया था, भीमबेटका की गुफाओं में पुरापाषाण काल के चित्र देखने को मिलते हैं।
- नर्मदा नदी घाटी, सोहन नदी घाटी, बेलन नदी घाटी से पुरापाषाण काल के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
पुरापाषाण काल में मानवों द्वारा उपयोग किये गए पत्थर के औजारों एवं जलवायु के आधार पर पुरापाषाण काल को तीन भागों में बनता गया है –
- निम्न पुरापाषाण काल ( 5 लाख ई.पू. से 1 लाख ई.पू.)
- मध्य पुरापाषाण काल (1 लाख ई.पू. से 40,000 ई.पू.)
- उच्च पुरापाषाण काल (40,000 ई.पू. से 12,000 ई.पू.)
निम्न पुरापाषाण काल –
- निम्न पुरापाषाण काल के अवशेष सोहन नदी घाटी (सिंधु नदी की छोटी सहायक नदी) से प्राप्त हुए हैं इसलिए इसे ‘सोहन संस्कृति’ भी कहा जाता है।
- निम्न पुरापाषाण काल पेबुल, चॉपर तथा चॉपिंग जैसे पत्थर के उपकरणों के प्रमाण मिले हैं। पानी के बहाव के कारण रगड़ खाकर चिकने और सपाट हुए पत्थर से बनाये गए औजार को पेबुल कहते हैं।
- पेबुल से बनाये गए बड़े आकार वाले औजार को चॉपर कहते हैं।
- पेबुल से बनाये गए बड़े आकार वाले औजार के ऊपरी दोनों किनारों को छील कर धारदार हथियार बनाते थे उसे चॉपिंग कहते हैं।
मध्य पुरापाषाण काल –
- मध्य पुरापाषाण काल में बहुतायत मात्रा में कोर, फ्लेक तथा ब्लेड उपकरण प्राप्त हुए हैं। फलकों के अधिक मात्रा में पाए जाने के कारण मध्य पुरापाषाण काल को ‘फलक संस्कृति’ की संज्ञा दी गई है।
- मध्य पुरापाषाण काल में क्वार्टज़ाइट पत्थर का प्रयोग करके औजारों को बनाया जाता था।
- मध्य पुरापाषाण काल के औजारों के साक्ष्य झारखण्ड में सिंहभूम, उत्तर प्रदेश में चकिया (वाराणसी), गुजरात में सौराष्ट्र क्षेत्र, बेलन घाटी (इलाहाबाद), मध्य प्रदेश के भीमबेटका गुफाओं तथा सोन घाटी, हिमाचल में व्यास, महाराष्ट्र में नेवासा, वानगंगा तथा सिरसा घाटियों आदि विविध पुरास्थलों से प्राप्त हुए हैं।
- मध्य पुरापाषाण काल को नैवासा चरण भी कहा जाता है क्योंकि महाराष्ट्र राज्य के नौवासा में उत्तम कोटि के औजार पाए गए हैं।
- महाराष्ट्र राज्य के नौवासा के चिरकी नामक स्थान से मध्य पुरापाषाण कालीन उद्योग एवं निवास के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
- मध्य पुरापाषाण काल में फ्लिंट, जैस्पर, चर्ट जैसे पत्थरों का उपयोग भी होने लगा था तथा इस काल में मुख्य रूप से शल्क के औजारों का उपयोग होता था।
- फलक, खुरचनी, बेधनी, तथा छेदनी मध्य पुरा पाषाण काल के महत्वपूर्ण औजारों में से एक थे।
उच्च पुरापाषाण काल –
- ब्लेड पतले तथा संकरे आकार के पत्थर से बनाया जाता था, इसके दोनों किनारे पतले और धारदार होते थे तथा इस औजार की लम्बाई इसके चौड़ाई दोगुनी होती थी।
- भारत में उच्च पुरापाषाण काल के औजारों के साक्ष्य सिंहभूम (झारखण्ड), जोगदहा, भीमबेटका, सोन घाटी (मध्य प्रदेश), बाघोर (मध्य प्रदेश), पटणे, रेनीगुंटा, रामपुर बघेलान, वेमुला, कुर्नूल गुफाएँ (आंध्र प्रदेश), शोरापुर दोआब (कर्नाटक), भदणे तथा इनामगाँव (महाराष्ट्र), तथा बूढ़ा पुष्कर (राजस्थान) से प्राप्त हुए हैं।
- “भदणे” मुख्य उपकरण हुआ करता था उच्च पुरापाषाण काल का।
मध्यपाषाण काल (Mesolithic Age) –
- मध्यपाषाण काल खंड 12000 ई.पूर्व – 10000 ई.पूर्व माना जाती है।
- मध्यपाषाण काल के मानवों ने पशु पालन करना शुरू कर दिया था।
- इस समय मानवों ने छोटे और धारदार हथियार का उपयोग करना शुरू कर दिया था, छोटे हथियारों को (माइक्रोलिथ) कहा जाता है।
- मनुष्य द्वारा पाला गया सबसे पहला जानवर कुत्ता था।
- मध्यपाषाण काल में छोटे और धारदार औजारों के उपयोग के कारण इन्हें ‘माइक्रोलिथ’ कहा गया।
- मध्यपाषाण काल के प्रमुख केंद्र हैं- कृष्णा घाटी (कर्नाटक), बेतवा घाटी, बेलन घाटी (उत्तर प्रदेश), सोन घाटी (मध्य प्रदेश), नेवासा (महाराष्ट्र) इत्यादि।
- बागोर (राजस्थान) और आदमगढ़ (मध्य प्रदेश) से पशुपालन के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
- मध्यपाषाण काल में सबसे पहले कुत्ते को पालतू पशु बनाया गया।
- भारत में मध्यपाषाण काल के मानव कंकाल का पहला अवशेष प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश) के सराय नाहर राय तथा महदहा नामक स्थान से पाए गए हैं।
- विश्व का सबसे पुराने वृक्षारोपण का प्रमाण राजस्थान में स्थित सांभर झील के निकट प्राप्त हुआ है। यहाँ से कई मध्यपाषाण कालीन स्थल प्राप्त हुए हैं।
- मध्य पाषाण काल को शिकार तथा पशुपालन काल के नाम से भी जाना जाता है।
- मध्य पाषाण काल में ही विधिवत रूप से मानव के कंकालों को दफनाना शुरू किया।
- मध्य पाषाण काल में पशुपालन के प्रमाण आदमगढ़, राजस्थान, भीलवाड़ा, मध्य प्रदेश, बागोर से मिले हैं।
- मध्य पाषाण काल में 500 से भी ज्यादा शैल चित्रण ‘भीमबेटका’ से प्राप्त किये गए हैं।
नव पाषाण काल (Neolithic Age) –
- नवपाषाण काल खंड 10000 ई.पूर्व – 3000 ई.पूर्व माना जाती है।
- नवपाषाण काल में मानव स्थायी घर बना कर रहने लगे थे।
- नवपाषाण काल में मानव ने कृषि करना तथा पशुपालन शुरू कर दिया था।
- सबसे पहले कृषि की शुरुआत नव पाषाण काल में शुरू हुई थी, जौ तथा गेहूँ की खेती के प्रमाण प्राप्त हुए थे।
- नवपाषाण काल में मनुष्य ने पहिए की खोज की थी।
- भारत में स्थित नवपाषाण काल की बस्ती मेहरगढ़ ( पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित ) में मिली है, इस बस्ती को 7000 ई.पू. का माना गया है।
- नवपाषाण काल का मुख्य केंद्र – रेनीगुंटा (आंध्र प्रदेश), सोन घाटी (मध्य प्रदेश), सिंहभूम (झारखंड), बेलन घाटी (उत्तर प्रदेश)
- बुर्जहोम तथा गुफकराल (कश्मीर) से बहुत से नवपाषाण कालीन गर्त आवास (मानव द्वारा जमीन के अंदर गड्ढा बना कर रहने का प्रमाण), मृदभांड, तथा हड्डी के औजार मिले हैं।
- चिराँद (बिहार) से बहुत मात्रा में नवपाषाण कालीन हड्डी के औजार मिले हैं जो मुख्य रूप से हिरण के सींगों से बने हैं।
- कोल्डिहवा (उत्तर प्रदेश) से चावल का सबसे पुराना साक्ष्य प्राप्त हुआ है।
- नवपाषाण काल के प्रमुख औजार – हथौड़ा, कुल्हाड़ी, खुरपी, बँसुली, छेनी, कुदाल आदि।
- मृदभांड का प्रयोग, स्थिर जीवन, जनसंख्या वृद्धि, आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था, आग का उपयोग, चाक का निर्माण नवपाषाण काल में शुरू हुआ था।
- मानव ने वस्त्र कला को नवपाषाण काल में ही सीखा था।
- ली मसुरियर ने उत्तर प्रदेश के टोंस नदी के किनारे उत्तर पाषाण कालीन सेल्ट की खोज की थी।
- बेलारी जो उत्तर पाषाण कालीन सभ्यता की प्रमुख स्थल है जिसकी खोज फ्रेजर ने की थी।
- नवपाषाण काल को अन्न उत्पादक काल के नाम से भी जाना जाता है।
- मेहरगढ़ से गेहूँ तथा जौ की विभिन्न किस्मों की खेती के प्रमाण प्राप्त हुए हैं।
- कृषि और पशुपालन के प्राचीन प्रमाण मेहरगढ़ से प्राप्त हुए हैं।
- नवपाषाण काल में खेती कर भोजन का उत्पादन तथा उस भोजन को इकठ्ठा भी करने लगे थे।
नवपाषाणकालीन स्थल –
स्थल | प्रमाण |
---|---|
कोल्डिहवा (उत्तर प्रदेश) | धान की खेती के प्रमाण प्राप्त हुए हैं, जो धान की खेती का भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व में सबसे प्राचीन साक्ष्य माना जाता है। |
चोपानीमांडो (उत्तर प्रदेश) | मधुमक्खी के छत्ते जैसी झोपड़ियों, ज्यामितीय आकार के सूक्ष्म पत्थर तथा हाँथ से बने मृदभांड के प्रमाण प्राप्त हुये हैं। |
बुर्जहोम (कश्मीर) | कब्रों में मालिक के साथ कुत्ते को दफनाने के प्रमाण प्राप्त हुए हैं। |
सारूतारू (असम) | आदिम कुल्हाड़ियाँ तथा चित्रित मृदभांड के प्रमाण प्राप्त हुये हैं। |
महदहा (उत्तर प्रदेश) | धान के अलावा जौ की खेती, गोलाकार झोपड़ियों के प्रमाण व पशुबाड़ा के प्रमाण प्राप्त हुए हैं। |
गुफ्फकराल (कश्मीर) | कृषि व पशुपालन के साक्ष्य, धूसर मृदभांड, हड्डी से बने औजार, सिलबट्टा व हड्डी से निर्मित सुई के प्रमाण प्राप्त हुए हैं। |
दाओजली (असम) | कृषि व पशुपालन के साक्ष्य प्राप्त हुये हैं। |
मेहरगढ़ (पाकिस्तान) | गेहूँ की तीन व जौ की दो किस्मों की खेती के प्रमाण, कच्ची ईंटों के आयताकार मकान और प्राचीनतम् स्थायी जीवन के प्रमाण मिले हैं। |
पिक्लीहल (कर्नाटक) | राख के ढेर व निवास स्थल के साक्ष्य के प्राप्त हुये हैं। |
चिरांद (बिहार) | हड्डी के उपकरण प्राप्त हुए हैं, जो प्राय: हिरणों के सींगों से निर्मित हैं। |
संगनकल्लू (कर्नाटक) | राख के टीले प्राप्त हुये है, जो बेल्लारी जिले में अवस्थित है। |
प्रागैतिहासिक काल (Prehistoric period) के मुख्य बिंदु –
काल | संस्कृति | मुख्य स्थल | औजार तथा विशेषताएँ |
---|---|---|---|
निम्न पुरापाषाण काल | शल्क, गँड़ासा, खंडक उपकरण संस्कृति | पंजाब, कश्मीर, सोहन घाटी, सिंगरौली घाटी, छोटा नागपुर, नर्मदा घाटी, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश | हस्तकुठार एवं वटिकाश्म औजार, नर्मदा घाटी से इस काल के अवशेष प्राप्त हुए हैं। |
मध्य पुरापाषाण काल | फलक संस्कृति | पुरुलिया (पश्चिम बंगाल ), नेवासा (महाराष्ट्र), बाँकुड़ा, डीडवाना (राजस्थान), भीमबेटका (मध्य प्रदेश) | भीमबेटका से गुफा चित्रकारी के प्रमाण प्राप्त हुए हैं, प्रमुख औजार – खुरचनी, फलक, बेधनी। |
उच्च पुरापाषाण काल | अस्थि, खुरचनी एवं तक्षणी संस्कृति | बेलन घाटी, छोटानागपुर पठार, मध्य भारत, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश | फलक तथा हड्डी से बने औजार मिले। |
मध्यपाषाण काल | सूक्ष्म पाषाण संस्कृति | सराय नाहर राय (उत्तर प्रदेश), बागोर (राजस्थान), भीमबेटका (मध्य प्रदेश), आदमगढ़ | छोटे औजारों को बनाने का तरीका विकसित हुआ, स्थायी निवास स्थान, पशुपालन का प्रमाण। |
नवपाषाण काल | पॉलिश्ड उपकरण संस्कृति | दमदमा, कोल्डिहवा (उत्तर प्रदेश), बुर्जहोम और गुफकराल (कश्मीर), मास्की (कर्नाटक), लंघनाज (गुजरात), चिराँद (बिहार), पोचमपल्ली (तमिलनाडु) | मृदभांड बनाना, पठार के औजारों की पॉलिश, कपड़े की बुनाई, शुरुआती खेती, भोजन को पका कर खाना, स्थायी निवास, पहिया, आग का दैनिक उपयोग शुरू। |
आद्य ऐतिहासिक काल (Proto-Historic Period) –
- पाषाण युग की समाप्ति के बाद धातुओं के युग का प्रारम्भ हुआ। इसी युग को आद्य ऐतिहासिक काल या धातु काल कहा जाता है।
- इस काल में लिपि तो मिली है पर उस लिपि को अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है, इसलिए हड़प्पा संस्कृति तथा वैदिक संस्कृति की गणना आद्य ऐतिहासिक काल में ही की जाती है।
- गैरिक एवं कृष्ण लोहित मृदभांड आद्य ऐतिहासिक काल से संबंधित हैं।
ताम्र पाषाण काल (Chalcolithic Age) –
- ताम्रपाषाण संस्कृति को सैंधव सभ्यता (सिंधु सभ्यता) का मूल कहा जाता है।
- ताम्र पाषाण काल को चालकोलिथिक काल (Chalcolithic Age) भी कहा जाता है।
- 5000 ई.पू. में मनुष्य ने सर्वप्रथम जिस धातु का प्रयोग किया, वह तांबा था।
- ताम्र पाषाण काल में मानव पत्थरों के साथ तांबे का उपयोग किया करते थे।
- ताम्रपाषाण की संस्कृति ग्रामीण थी।
- ताम्र पाषाण कालीन संस्कृति में महाराष्ट्र के लोग मृतकों को घर के फर्श के नीचे ‘उत्तर से दक्षिण दिशा’ में रखकर दफनाते थे।
- मानव द्वारा प्रयोग किया गया पहला धातु “तांबा” था।
- मानव ने सबसे पहले ताम्बे का उपयोग कर औजार बनाने की कला ताम्र पाषाण काल में शुरू किया था।
- दक्षिण-पूर्वी राजस्थान, पश्चिमी महाराष्ट्र, दक्षिण पूर्वी भारत तथा पश्चिमी मध्य प्रदेश से ताम्र पाषाण काल के मुख्य अवशेष मिले हैं।
- ताम्र पाषाण काल में बने मृदभांड को उत्तम माना गया है।
- लगभग 1200 ई. पू. ताम्र पाषाणिक संस्कृति का लोप हो गया, केवल जोरवे संस्कृति 700 ई. पू. तक जीवित रही।
- मृदभांडों पर चित्रण कला की सबसे पहली शुरुआत ताम्र पाषाण काल में हुई थी।
- चाक पर बने काला तथा लाल मृदभांडों का उपयोग ताम्र पाषाण कालीन मानव किया करते थे।
ताम्र पाषाण काल की प्रमुख संस्कृतियाँ –
ताम्रपाषाण संस्कृति को सैंधव सभ्यता (सिंधु सभ्यता) का मूल कहा जाता है।
5000 ई.पू. में मनुष्य ने सर्वप्रथम जिस धातु का प्रयोग किया, वह तांबा था। ताम्रपाषाण की संस्कृति ग्रामीण थी।
(बनास/अहाड़) संस्कृति (राजस्थान) –
- (बनास/अहाड़) संस्कृति के प्रमुख स्थल गिलुंद, अहाड़ तथा बालाथल है।
- यहाँ बहुतायत मात्रा में तांबा मिलने के कारण अहाड़ को ‘ताम्बवती’ भी कहा जाता है।
- अहाड़ संस्कृति के लोग पत्थरों का घर बनाकर रहते थे।
- अहाड़ संस्कृति का स्थानीय केंद्र गिलुंद माना गया है।
- यहाँ से पकी ईंटों के निर्माण के प्रमाण प्राप्त हुए हैं।
- यहाँ से चूड़ियाँ, चादरें तथा तांबे के धातु की बनी कुल्हाड़ियाँ मिली हैं।
कायथा संस्कृति (मध्य प्रदेश) –
- कायथा संस्कृति के प्रमुख स्थल कायथा तथा एरण है।
- कायथा संस्कृति से मिले मृदभांडों पर पूर्व हड़प्पन, हड़प्पन और पूर्वोत्तर हड़प्पन संस्कृति का प्रभाव मिलता है।
मालवा संस्कृति –
- मालवा संस्कृति के प्रमुख स्थल एरण, कायथा, नागदा, तथा नवदाटोली है।
- मालवा संस्कृति के मृदभांड उत्तम गुणवत्ता के लिए जाने जाते थे।
- अनाजों की खेती के प्रमाण नवदाटोली से प्राप्त हुए हैं।
जोरवे संस्कृति (महाराष्ट्र) –
- जोरवे संस्कृति से प्रमुख स्थल दैमाबाद, नेवासा, जोरवे तथा इनामगाँव है।
- दैमाबाद से बहुत अधिक मात्रा में काँसे की बनी वस्तुएँ मिली हैं।
- जोरवे संस्कृति में हड़प्पा संस्कृति का बड़ा प्रभाव दिखता है।
- जोरवे संस्कृति के मानवों द्वारा बनाये गए मृदभाण्डों पर काले रंग का उपयोग कर आकृति का चित्रण किया जाता था।
- जोरवे संस्कृति के मानवों द्वारा उपयोग किया जाने वाला प्रमुख पात्र पेंदीदार कटोरा था।
- हाथी, गैंडा, भैंसा तथा मानव द्वारा रथ चलाने की आकृति दैमाबाद से मिली है।
- ताम्रपाषाण काल की बड़ी बस्ती इनामगाँव थी, यह बस्ती खाई से चरों तरफ गिरी हुई थी तथा किले बंदी से घिरी थी।
- ‘जोरवे संस्कृति’ का सबसे बड़ा तथा महत्वपूर्ण स्थल दैमाबाद है।
- गिलुंद को ‘जोरवे संस्कृति’ का केंद्र माना जाता है।
- ‘जोरवे संस्कृति’ के लोग ग्रामीण जीवन व्यतीत करने वाले होते थे।
- लगभग 1200 ई. पू. ताम्र पाषाणिक संस्कृति का लोप हो गया, जोरवे संस्कृति ही केवल 700 ई. पू. तक इस संस्कृति के अस्तित्व को बचा पाने में सफल रही थी।
कुल्ली संस्कृति –
- कुल्ली संस्कृति के मानवों द्वारा बनाये गए मृदभाण्डों पर बैल का चित्र बनाया जाता था तथा उस बैल के पैरों के निचे हिरण का चित्र बनाया गया था।
- कुल्ली संस्कृति के मानवों द्वारा बनाये गए घर में ईंटों का प्रयोग किया जाता था तथा ये घर दो मंजिलों का हुआ करता था।
अमरीनाल संस्कृति –
- अमरीनाल संस्कृति के मानवों द्वारा बनाये गए मृदभाण्डों पर हरा, काला, लाल, दूधिया रंग, नील रंग का प्रयोग किया जाता था चित्रकारी करने के लिए।
- अमरीनाल संस्कृति के लोग सामान्यतः पूर्णतः शवाधान करते थे।
क्वेटा संस्कृति –
- क्वेटा संस्कृति के मानवों द्वारा बनाये गए मृदभांड गुलाबी तथा सफ़ेद रंग का पाया गया है।
- इन गुलाबी तथा सफ़ेद रंग के मृदभाण्डों पर काले रंग से ज्यामिति की चित्रकारी पाई गई है।
ताम्रपाषाण कालीन स्थल –
स्थल | राज्य | प्राप्त किये गए साक्ष्य |
---|---|---|
नवदाटोली | महाराष्ट्र | इस स्थल का उत्खनन एच. डी. सांकलिया द्वारा किया गया था। यहाँ चित्रित काले मृदभांड का प्रमाण मिला हैं। |
इनामगाँव | महाराष्ट्र | कच्ची मिट्टी के मकान तथा गोलाकार गड्ढों वाले मकान के प्रमाण मिले |
ताम्रवती | राजस्थान | यहाँ से प्राप्त काले मृदभांड सफेद रैखिक चित्रों से सजे रहते हैं। |
दायमाबाद | महाराष्ट्र | शवाधान तथा कलश को घरों के फर्श के नीचे रखने का प्रमाण। दायमाबाद सबसे बड़ा ताम्रपाषाणिक स्थल माना जाता है। |
नेवासा | महाराष्ट्र | पटसन का प्रथम साक्ष्य और लाल तल पर काली डिजाइन वाले चाक निर्मित बर्तनों के प्रमाण |
प्राचीन काल के मिट्टी के बर्तन –
बर्तन | काल | प्राप्ति स्थल | विशेषता |
---|---|---|---|
काली पॉलिशदार मिट्टी के बर्तन | 600 ई.पू.- 200 ई.पू. | तक्षशिला-बानगढ, नासिक, शिशुपालगढ़, पेशावर | ये बर्तन लौह युग से संबंधित थे। |
चित्रित धूसर मिट्टी के बर्तन | 600 ई.पू. | उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब | ये बर्तन कांस्य युग (उत्तर वैदिक काल) से संबंधित थे। |
गहरे लाल रंग के मिट्टी के बर्तन | 1,200 ई.पू. | बिजनौर, हरिद्वार,बदायूं | ये बर्तन प्रागैतिहासिक काल (पूर्व वैदिक काल) से संबंधित थे। |
काले एवं लाल मिट्टी के बर्तन | 2,000 ई.पू. | नवदाटोली, रंगपुर, नागदा, सोनपुर, लोथल, माहेश्वर | ये बर्तन प्रागैतिहासिक काल से संबंधित थे। |
दांतेदार पहिये से चित्रित मिटटी के बर्तन | 200 ई.पू. | आंध्र-प्रदेश, तमिलनाडु, बंगाल, कर्नाटक | – |
चमकदार काली मिटटी के बर्तन | 400 ई.पू.- 500 ई.पू. | उत्तर भारत | – |
पाषाण उपकरण –
उपकरण | विशेषता |
---|---|
वटिकाश्म | ऐसे पत्थर के टुकड़े जो पानी के बहाव के कारण रगड़ खाकर चिकने और सपाट हो जाते हैं। इन पत्थरों का प्रयोग हथौड़े की तरह किया करते थे। |
कोर | जिन पत्थरों के ऊपर बार-बार चोट मार कर अन्य रूप में ढाला जा सकता था। |
फलक | बड़े पत्थरों के किनारों पर चोट करके निकले गए छोटे छोटे धारदार चपटे टुकड़े। |
गड़ासा | पैबल का उपयोग कर दोधारी औजार बनाया जाता था। पैबल : पानी के बहाव के कारण रगड़ खाकर चिकने और सपाट हुए पत्थर से बनाये गए औजार को पैबल कहते हैं। |
हैंडएक्स | हाथ से बनाई गई पत्थर की कुल्हाड़ी। |
क्लिवर | हैंडएक्स के दोनों किनारों को धारदार बनाकर उपयोग में लाया गया हथियार। |
खुरचनी | मोटे फ्लैक को घिस कर उसके किनारों को धारदार किया जाता है। |
बेधनी | फ्लैक के दोनों किनारों को घिस घिस कर पतला नुकीला सिरा बना लिया जाता था। |
बेधक | यह मोटी नोक वाला औजार था। |
प्रागैतिहासिक काल के महत्वपूर्ण तथ्य –
- सबसे पहले मानव ने कुत्ते को पलना शुरू किया।
- सबसे पहले मानव ने तांबे कि खोज कि थी।
- सबसे पहले मानव ने गेहूँ तथा जौ कि खेती शुरू कि थी।
- मानव द्वारा सबसे पहले खेती करने के प्रमाण मेहरगढ़ (बलूचिस्तान) से मिली है।
- मानव द्वारा जमीन के अंदर गड्ढा बना कर रहने का प्रमाण तथा मानव के साथ कुत्ते को दफ़नाने का प्रमाण बुर्जहोम (कश्मीर) से मिले हैं।
- सबसे पहले चावल (धान) का प्रमाण कोल्डिहवा (उत्तरप्रदेश) से मिला है।
- मानवों के द्वारा बनाया गया शैलचित्रों का प्रमाण भीमबेटका (मध्यप्रदेश) की गुफाओं से मिले हैं।
प्रागैतिहासिक काल FAQ –
प्रागैतिहासिक काल कब से कब तक है?
पुरापाषाण काल खंड 5 लाख ई.पू. से 12000 ई.पू. माना जाता है।
मध्यपाषाण काल खंड 12000 ई.पूर्व – 10000 ई.पूर्व माना जाती है।
नवपाषाण काल खंड 10000 ई.पूर्व – 3000 ई.पूर्व माना जाती है।
प्रागैतिहासिक काल के कितने काल है?
प्रागैतिहासिक काल को तीन भागों में विभाजित किया गया है –
प्रागैतिहासिक काल (Prehistoric period) – इस काल में मानव ने किसी भी लिपि या लेखन कला का अविष्कार नहीं किया था। प्रागैतिहासिक काल की जानकारी मुख्यतः पुरातात्विक अवशेषों से प्राप्त होती है। इतिहासकरों का मानना था मानव का जीवन सभ्य नहीं था प्रागैतिहासिक काल में।
आद्य-ऐतिहासिक काल (Proto-Historic Period) – इस काल में मानवों ने लिपि का अविष्कार कर लिया था पर अभी तक हम उस लिपि को पढ़ नहीं सके। आद्य-ऐतिहासिक काल को प्रागैतिहासिक काल के तुरंत बाद का काल माना जाता है। सिंधु सभ्यता इसी काल में विकसित हुई थी।
ऐतिहासिक काल (Historic Period) – ऐतिहासिक काल में मानवों ने लिपि का अविष्कार कर लिया था तथा यह लिपि हम पढ़ भी सकते हैं।
नव पाषाण काल कब प्रारम्भ हुआ ?
नवपाषाण काल खंड 10,000 ई.पूर्व – 3,000 ई.पूर्व माना जाती है।
सबसे पहले अनाज की खेती की शुरुआत किस काल में हुई थी ?
नव पाषाण काल
प्राचीन भारत का इतिहास MCQ –
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Pragaitihasik kal MCQ (प्रागैतिहासिक काल) से सम्बंधित प्रश्न केंद्र तथा राज्य के सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं UPSC Banking SSC CGL Railway Police के लिए अति महत्वपूर्ण है।
अगर आपको कोई त्रुटि लगे तो कृपया सूचित करें।
धन्यवाद !